Air Pollution : दिल्ली का AQI सर्दियों क्यों हो जाती है Severe? 2024 में भी CAQM का प्रयास नाकाफी साबित हुआ
दिल्ली में हर साल सर्दियों की शुरुआत के साथ वायु प्रदूषण का गंभीर संकट गहराने लगता है। जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है, वायुमंडलीय परिस्थितियों के बदलने और अन्य कारकों के कारण दिल्ली की हवा में प्रदूषकों की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है। नवंबर 2024 में दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर श्रेणी में जा पहुंचा है, जिससे स्थानीय निवासियों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। पिछले कुछ हफ्तों से, दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में AQI 400 से 450 के बीच बना हुआ है, जो कि ‘गंभीर’ स्तर पर माना जाता है और स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक है।

वर्तमान AQI (वायु गुणवत्ता) की स्थिति
दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक कई दिनों से बेहद खराब और गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। PM2.5 और PM10 जैसे हानिकारक प्रदूषक तत्व वायुमंडल में अधिक मात्रा में पाए जा रहे हैं। हाल ही में, दिवाली के बाद पराली जलाने के कारण वायुमंडल में प्रदूषक कणों की मात्रा में भारी इजाफा हुआ है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में किसान धान की पराली जलाते हैं, जिससे वायुमंडल में धुएँ का स्तर बढ़ जाता है और हवा में PM2.5 की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुँच जाती है। हवा का प्रवाह उत्तर पश्चिम से होने के कारण, यह धुआं दिल्ली की ओर बहता है और प्रदूषण के स्तर में वृद्धि करता है।
पराली जलाने का प्रभाव
अक्टूबर और नवंबर के महीनों में पराली जलाने की गतिविधियाँ चरम पर होती हैं। इसके कारण दिल्ली के प्रदूषण स्तर में अप्रत्याशित वृद्धि होती है। किसानों के पास पराली को नष्ट करने का एकमात्र सस्ता उपाय इसे जलाना ही रह जाता है, क्योंकि इसे सुरक्षित तरीके से निपटाने के लिए महंगे उपकरण और समय चाहिए, जो ज्यादातर किसानों के लिए संभव नहीं होता। इससे होने वाला धुआं दिल्ली के वातावरण में घुल जाता है और यहां की वायु गुणवत्ता में सीधा असर डालता है। रिपोर्ट के अनुसार, इस साल पराली जलाने के कारण दिल्ली के AQI में लगभग 30-40% तक की वृद्धि हुई है।
वायुमंडलीय परिस्थितियाँ और सर्दियों का प्रभाव
दिल्ली में सर्दियों के दौरान वायुमंडलीय परिस्थितियाँ भी प्रदूषण के स्तर को और बढ़ा देती हैं। इस मौसम में हवा की गति कम हो जाती है, जिससे प्रदूषक तत्व लंबे समय तक वायुमंडल में स्थिर रहते हैं और हवा के संपर्क में बने रहते हैं। तापमान में गिरावट के कारण यह प्रदूषण एक “स्मॉग” के रूप में बदल जाता है जो पूरे शहर को ढक लेता है। यह स्मॉग लोगों के लिए स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ पैदा करता है और दृश्यता को भी काफी हद तक कम कर देता है, जिससे यातायात दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
सरकार की ओर से उठाए गए कदम
CAQM (Commission for Air Quality Management in NCR), दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार ने इस समस्या का समाधान करने के लिए कई कदम उठाए हैं। दिल्ली सरकार ने “ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान” (GRAP) को लागू किया है, जिसमें विभिन्न स्तरों पर प्रदूषण नियंत्रण के उपाय शामिल हैं। इसके अंतर्गत निर्माण कार्यों पर अस्थायी रोक, वाहनों के उपयोग को सीमित करने और डीजल जनरेटर के उपयोग पर पाबंदी लगाई गई है। CAQM
इसके अलावा, सरकार ने अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन और सब्सिडी जैसे कदम उठाए हैं। साथ ही, सड़कों पर पानी का छिड़काव भी किया जा रहा है ताकि धूल के कण वायुमंडल में न मिलें। दिल्ली मेट्रो के फ्रीक्वेंसी को बढ़ाकर और सार्वजनिक परिवहन को अधिक सुगम बनाकर, सरकार लोगों को निजी वाहनों के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
दिल्ली के बढ़ते वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से लोगों को श्वसन संबंधी बीमारियाँ, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और दिल की बीमारियाँ हो सकती हैं। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। डॉक्टरों के अनुसार, पिछले कुछ हफ्तों में श्वसन संबंधी समस्याओं के मामले तेजी से बढ़े हैं। कई अस्पतालों ने अपने इमरजेंसी वार्ड में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं के मरीजों के लिए विशेष सुविधाएँ उपलब्ध करवाई हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में लोग यदि लंबे समय तक ऐसी हवा में सांस लेते हैं, तो उन्हें गंभीर श्वसन और हृदय संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं। PM2.5 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर जाते हैं, जिससे फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है। यह स्थिति सिर्फ उन लोगों तक ही सीमित नहीं है जो पहले से बीमार हैं, बल्कि स्वस्थ व्यक्तियों के लिए भी यह खतरनाक साबित हो रही है। वायु प्रदूषण की वजह से लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश और सिरदर्द जैसी समस्याएं भी हो रही हैं।
प्रदूषण नियंत्रण में जनता की भूमिका
सरकार के प्रयासों के साथ-साथ, आम जनता को भी प्रदूषण नियंत्रण में सहयोग देना चाहिए। अपनी गाड़ियों का उपयोग कम करने, कारपूलिंग का समर्थन करने और सार्वजनिक परिवहन का अधिक से अधिक उपयोग करने से प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, छोटे-छोटे कदम, जैसे कि घर के आसपास पौधे लगाना और इलेक्ट्रिक या सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक उपयोग करना, भी इस दिशा में सहायक साबित हो सकते हैं। लोग अपने घरों में वायु शुद्धिकरण उपकरणों का उपयोग करके भी प्रदूषित हवा से बच सकते हैं।
पराली जलाने का दीर्घकालिक समाधान
पराली जलाने की समस्या के स्थायी समाधान के लिए भी ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। राज्य सरकारों और किसानों के बीच एक सहयोगात्मक रणनीति बनाई जानी चाहिए, जिसमें किसानों को पराली न जलाने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता दी जाए। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर बायोमास प्रबंधन और मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकती हैं, जिससे किसानों को पराली को जलाने की बजाय सुरक्षित तरीकों से निपटाने में सहायता मिल सके। इसके अलावा, कंप्रेस्ड बायोगैस जैसी तकनीकों को बढ़ावा देकर पराली को ऊर्जा स्रोत में परिवर्तित करने की दिशा में भी काम किया जा सकता है।
दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता
दिल्ली का प्रदूषण स्तर हर साल एक आपातकालीन स्थिति की तरह बन जाता है। हालांकि, सरकार की ओर से कई कदम उठाए जाते हैं, लेकिन यह समाधान दीर्घकालिक नहीं होते। दीर्घकालिक समाधान के लिए राज्य और केंद्र सरकारों को मिलकर एक ठोस नीति बनानी होगी, जिसमें सिर्फ तात्कालिक उपायों पर निर्भर न रहते हुए एक स्थायी योजना तैयार की जाए। इलेक्ट्रिक वाहनों का अधिकतम उपयोग, प्रदूषण-रहित निर्माण कार्य, हरित ऊर्जा स्रोतों का उपयोग और खेती में बायोमास प्रबंधन जैसे उपायों को लागू किया जाना चाहिए। फ़िलहाल इनसब पे CAQMडायरेक्शन जारी तो करता है है लेकिन ग्राउंड पे इसका इम्प्लीमेंटेशन नहीं हो पता | दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें तात्कालिक कदमों के साथ-साथ दीर्घकालिक उपाय भी शामिल हों। तभी दिल्ली के लोग खुली हवा में सांस लेने का सपना साकार होते देख पाएंगे।
Global Hunger Index 2024 में भारत 105वे पायदान पे| देश में भुखमरी Serious श्रेणी में!
Pingback: Science News : 2024 will be hottest year ! विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट में कमजोर और अल्पकालिक ला नीना परिस्थितियो