पराली जलाने को लेकर Supreme Court ने पंजाब और हरयाणा को लताड़ा !
Air Pollution वायु प्रदूषण के मुद्दे पे सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरयाणा सरकार को जैम के लताड़ लगाई | मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने निर्देश दिया कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिव अगली सुनवाई की तारीख (23 अक्टूबर) पर अदालत के समक्ष उपस्थित रहें।
CAQM-Commission for Air Quality Management(CAQM) in NCR/ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग
CAQM आयोग 2021 से अबतक समय समय पर बहुत सारे दिशा निर्देश जारी किया है ताकि वायु गुणवत्ता में सुधर हो सके | परन्तु हरयाणा और पंजाब की सरकारों ने इसका सही से पालन नहीं किया खास करके पराली जलने की घटनाओ पे काबू पाने में विफल रहे | इसके लिए कोर्ट ने फटकार लगते हुए निर्देश दिया कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिव अगली सुनवाई की तारीख (23 अक्टूबर) पर अदालत के समक्ष उपस्थित रहें।
पीठ ने सबसे पहले हरियाणा सरकार को संबोधित किया और पूछा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के आदेशों को लागू करने के लिए कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।न्यायमूर्ति ओका ने पूछा। “आदेशों के उल्लंघन के लिए कोई मुकदमा क्यों नहीं चलाया जा रहा है? यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह आयोग द्वारा धारा 12 के तहत वैधानिक निर्देशों के कार्यान्वयन के बारे में है और यहां कोई राजनीतिक विचार लागू नहीं होगा। इसरो आपको आग के स्थान बताता है और आप बहुत प्यार से कहते हैं कि आग के स्थान नहीं मिले। कोई भी उन पर मुकदमा चलाने वाला नहीं है, कोई भी उनके खिलाफ कार्रवाई करने वाला नहीं है, वे नाममात्र का जुर्माना भरेंगे। यह सब क्या चल रहा है? यह राज्य और मुख्य सचिव द्वारा दिखाई जा रही पूरी तरह से असंवेदनशीलता है। क्या सचिव किसी और के इशारे पर काम कर रहे हैं? हमें बताएं, हम उन्हें भी समन जारी करेंगे। लोगों पर मुकदमा चलाने में क्या हिचकिचाहट है?”
अदालत ने पंजाब राज्य से सवाल किया
न्यायमूर्ति ओका ने पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह से कहा आप केवल उल्लंघनों को बर्दाश्त कर रहे हैं| जब एजी ने कहा कि इन निर्देशों को जमीनी स्तर पर लागू करना बहुत मुश्किल है, तो जस्टिस अमानुल्लाह ने पूछा कि क्या अदालत को यह दर्ज करना चाहिए कि राज्य कानून और व्यवस्था को लागू करने में असमर्थ है। न्यायालय ने नोट किया कि इसरो प्रोटोकॉल के अनुसार रिपोर्ट की गई आग की घटनाएं 267 थीं। हालांकि केवल 103 उल्लंघनकर्ताओं से नाममात्र जुर्माना वसूला गया है और केवल 14 उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ बीएनएस की धारा 233 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। वायु अधिनियम 1981 की धारा 39 के तहत केवल 5 व्यक्तियों के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई हैं। इस प्रकार, राज्य के अपने आंकड़ों के अनुसार, 267 उल्लंघनकर्ताओं में से 122 उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ नाममात्र कार्रवाई की गई है|
CAQM के सदस्यों की योग्यता पर
कोर्ट ने CAQM के सदसयो के योग्यता पे भी बोला, न्यायमूर्ति ओका ने कहा हम सदस्यों और उनकी शैक्षणिक योग्यता का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन वे वायु प्रदूषण के क्षेत्र में योग्य या विशेषज्ञ नहीं हैं| ऐसे में सबसे गंभीर सवाल ये है कि क्या CAQM में वैसे मेंबर्स भी है जिन्होंने कभी वायु प्रदूषण के क्षेत्र में काम नहीं किया, अगर किया है तो क्या उनके शोध पत्र वायु प्रदूषण में है | क्यूंकि वायुप्रदूषण में काम का सबसे उत्तम आंकलन उनके शोध पत्रों के द्वारा ही होगा अब देखा है की क्या माननीय न्यायालय मेंबर्स के शोध पत्र भी देखेंगे ताकि ये साबित किया जा सके की मेंबर्स ने वायु प्रदूषण के क्षेत्र में सचमुच काम किया है या नहीं ?
न्यायमूर्ति ओका ने आगे कहा आप राज्य सरकारों के साथ क्या करने जा रहे हैं? दोनों राज्य सरकारें कोई दंडात्मक कार्रवाई करने में बेहद अनिच्छुक हैं, CAQM के आदेशों का पालन करने में बेहद अनिच्छुक हैं। आप क्या कार्रवाई करने का प्रस्ताव रखते हैं? न्यायमूर्ति ओका ने CAQM से अगली तारीख पर रिपोर्ट मांगी।
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