Elon Musk के SpaceX ने लॉन्च किया ISRO का GSAT-N2 उपग्रह: अब भारत में In-Flight इंटरनेट सेवा ! Great News for Flight Passengers!

SpaceX ने लॉन्च किया ISRO का GSAT-N2 उपग्रह: भारत में In-Flight इंटरनेट को मिलेगा बढ़ावा

SpaceX के फाल्कन 9 रॉकेट ने 19 नवंबर 2024 को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के GSAT-N2 संचार उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह मिशन इसरो और स्पेसएक्स के बीच पहला वाणिज्यिक सहयोग है, जो भारत के दूरसंचार और इंटरनेट सेवाओं में एक बड़ा कदम है।

GSAT-N2, जिसे GSAT-20 के नाम से भी जाना जाता है, एक उच्च-थ्रूपुट संचार उपग्रह है जिसे विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में डेटा और इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके अतिरिक्त, यह भारतीय उपमहाद्वीप में उड़ान के दौरान इंटरनेट कनेक्टिविटी को सक्षम करेगा।

भारी वजन के कारण SpaceX का रुख

GSAT-N2 का वजन 4,700 किलोग्राम है, जो इसे ISRO के GSLV मार्क-3 प्रक्षेपण यान की सीमा से बाहर कर देता है। मार्क-3 यान 4,000 किलोग्राम तक के उपग्रह को भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा में स्थापित कर सकता है। इसी कारण, इसरो ने स्पेसएक्स के प्रक्षेपण यान फाल्कन 9 का उपयोग किया।

GSAT-N2 के तकनीकी विशिष्टताएं

GSAT-N2, अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) द्वारा विकसित किया गया है। यह उपग्रह का-बैंड में संचालित होता है और 48 Gbps तक का थ्रूपुट प्रदान करता है।यह भारत का सबसे अधिक क्षमता वाला उपग्रह है, जो विशेष रूप से अत्यधिक मांग वाले का-बैंड में संचालित होता है।

उपग्रह में 32 उपयोगकर्ता बीम हैं, जिनमें 8 संकीर्ण स्पॉट बीम पूर्वोत्तर भारत पर केंद्रित हैं, जबकि शेष 24 चौड़ी स्पॉट बीम पूरे भारत को कवर करती हैं। इन बीमों को मुख्य भूमि भारत में हब स्टेशनों द्वारा समर्थित किया जाएगा।

NSIL ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “NSIL का GSAT-N2 हाई-थ्रूपुट (HTS) संचार उपग्रह 19 नवंबर 2024 को केप कैनावेरल, यूएसए से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।”

न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL): भारत की अंतरिक्ष वाणिज्यिक शाखा

New Space India Ltd
New Space India Ltd

न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की वाणिज्यिक शाखा है, जिसे मार्च 2019 में भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के तहत स्थापित किया गया। इसका उद्देश्य भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और उत्पादों को वाणिज्यिक रूप से बढ़ावा देना और अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।

NSIL मुख्य रूप से उपग्रह प्रक्षेपण सेवाएं, उपग्रहों का निर्माण, और उनके वाणिज्यिक उपयोग से संबंधित कार्यों में संलग्न है। यह छोटे और बड़े उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए ISRO के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) और अन्य रॉकेट्स का उपयोग करता है। इसके अतिरिक्त, NSIL दूरसंचार, ब्रॉडबैंड सेवाओं, और उपग्रह डेटा वितरण में भी भागीदारी करता है।

NSIL का एक प्रमुख लक्ष्य अंतरिक्ष आधारित सेवाओं को बढ़ावा देना और भारतीय उपग्रहों को वैश्विक स्तर पर उपयोग के लिए उपलब्ध कराना है। हाल ही में GSAT-N2 उपग्रह का सफल प्रक्षेपण इसका एक बड़ा उदाहरण है। इसरो के साथ मिलकर NSIL भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक मजबूत उपस्थिति स्थापित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

इन-फ़्लाइट कनेक्टिविटी में नया युग

GSAT-N2 उपग्रह भारत में इन-फ्लाइट इंटरनेट सेवाओं के लिए क्रांतिकारी साबित होगा। अब तक, भारतीय हवाई क्षेत्र में उड़ने वाली अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को अपनी इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ती थीं। हालांकि, हाल ही में हुए नियामक बदलावों ने इस बाधा को हटा दिया है। अब 3,000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर उड़ने वाले विमानों में वाई-फाई सेवाओं की अनुमति है।

दूरदराज क्षेत्रों को कनेक्टिविटी का फायदा

GSAT-N2 का मिशन जीवनकाल 14 वर्ष है, और इसे छोटे उपयोगकर्ता टर्मिनलों के माध्यम से बड़े उपयोगकर्ता आधार का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में इंटरनेट और डेटा सेवाएं प्रदान करने में मदद करेगा, जहां अभी तक कनेक्टिविटी एक चुनौती रही है।

भारत के लिए नई संभावनाएं

यह प्रक्षेपण भारत के संचार और डिजिटल क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। GSAT-N2 के माध्यम से, भारत न केवल अपनी इन-फ़्लाइट कनेक्टिविटी सेवाओं को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक मजबूत उपस्थिति भी स्थापित करेगा। इसरो और स्पेसएक्स के बीच यह सहयोग अंतरिक्ष अन्वेषण और प्रौद्योगिकी में एक नई साझेदारी की शुरुआत को दर्शाता है। इससे दोनों संगठनों के बीच भविष्य में और अधिक सहयोग की संभावना बनती है।

GSAT-N2 का सफल प्रक्षेपण भारत के दूरसंचार और इंटरनेट बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है। इस उपग्रह के माध्यम से भारत न केवल अपनी संचार क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों को डिजिटल रूप से सशक्त भी करेगा। यह मिशन इसरो और स्पेसएक्स दोनों के लिए एक बड़ी सफलता है।

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