Greenhouse Gas Bulletin: 2023 में ग्रीनहाउस गैसों का concentartions नए रिकॉर्ड पर पहुँच गया। कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की वृद्धि दर अब तक के सबसे Dangerous स्तर पर !

Greenhouse Gas Bulletin

28 अक्टूबर 2024 को विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization) ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया कि 2023 में ग्रीनहाउस गैसों का स्तर फिर से नए रिकॉर्ड पर पहुँच गया। इससे साफ है कि आने वाले वर्षों में पृथ्वी का तापमान और बढ़ेगा। कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की सांद्रता अभूतपूर्व दर से बढ़ रही है और पिछले 20 वर्षों में इसमें 10% से अधिक की वृद्धि हुई है।


मुख्य बिंदु:

  1. CO2 में 11.4% की वृद्धि
    • पिछले 20 वर्षों में वायुमंडल में CO2 की सांद्रता में 11.4% की बढ़ोतरी हुई है।
    • CO2 का लंबा जीवनकाल भविष्य में तापमान वृद्धि को रोकना मुश्किल बनाता है।
  2. एल नीनो और जंगल की आग का प्रभाव
    • 2023 में एल नीनो और जंगल की आग से कार्बन उत्सर्जन में तेजी आई।
    • वनों जैसे कार्बन सिंक (कार्बन अवशोषित करने वाले) के महत्व को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
  3. कार्बन-जलवायु प्रतिक्रियाओं को बेहतर समझने की आवश्यकता
    • पारिस्थितिक तंत्र की प्रतिक्रियाएँ जलवायु परिवर्तन को प्रभावित कर सकती हैं, और इस पर बेहतर शोध की ज़रूरत है।

2023 में greenhouse gas (ग्रीनहाउस गैस) का स्तर और आँकड़े

WMO(World Meteorological Organization) के greenhouse gas bulletin के अनुसार, 2023 में वायुमंडलीय CO2 की औसत सांद्रता(concentrations) 420.0 भाग प्रति मिलियन (ppm) तक पहुँच गई।

  • मीथेन (CH4): 1934 भाग प्रति बिलियन (ppb)
  • नाइट्रस ऑक्साइड (N2O): 336.9 ppb

ये सांद्रताएँ पूर्व-औद्योगिक युग (1750) के स्तर से क्रमशः 151%, 265% और 125% अधिक हैं। इन आँकड़ों को WMO के ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच नेटवर्क के डेटा के आधार पर संकलित किया गया है।

WMO महासचिव सेलेस्टे साउलो ने इस रिपोर्ट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “हम 2°C से नीचे ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने और 1.5°C के लक्ष्य को पाने से काफी दूर हैं। हर ppm वृद्धि का हमारे ग्रह और मानव जीवन पर वास्तविक प्रभाव पड़ता है।”


CO2 का दीर्घकालिक प्रभाव

रिपोर्ट बताती है कि 2023 में CO2 की वृद्धि, 2022 की तुलना में अधिक रही, हालाँकि यह वृद्धि पिछले तीन वर्षों की तुलना में कम थी। फिर भी, यह 12वां लगातार वर्ष था जब CO2 का स्तर प्रति वर्ष 2 ppm से अधिक बढ़ा।

Globally averaged CO2 concentration (a) and its growth rate (b) from 1984 to 2023. Increases in successive annual means are shown as the shaded columns in (b). The red line in (a) is the monthly mean with the seasonal variation removed; the blue dots and blue line in (a) depict the monthly averages.
Globally averaged  CO2 (greenhouse gas) concentration (a) and its growth rate (b) from 1984 to 2023. Increases in successive annual means are shown as the shaded columns in (b). The red line in (a) is the monthly mean with the seasonal variation removed; the blue dots and blue line in (a) depict the monthly averages.

2004 में CO2 का स्तर 377.1 ppm था, जबकि 2023 में यह बढ़कर 420 ppm तक पहुँच गया, जो 11.4% की वृद्धि दर्शाता है। WMO के अनुसार, उत्सर्जन का लगभग 50% हिस्सा वायुमंडल में रहता है, जबकि 25% महासागरों द्वारा और 30% भूमि पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा अवशोषित किया जाता है। हालाँकि, एल नीनो जैसी घटनाओं से हर साल इसमें बदलाव देखा जा सकता है।


प्राकृतिक घटनाओं का प्रभाव

  • एल नीनो के वर्षों में शुष्क वनस्पति और जंगल की आग की घटनाएँ बढ़ जाती हैं, जिससे भूमि कार्बन सिंक की क्षमता कम हो जाती है।
  • समुद्र का तापमान बढ़ने से महासागर कम CO2 अवशोषित कर पाते हैं, जिससे वायुमंडलीय CO2 का स्तर और बढ़ता है।

WMO के उप महासचिव को बैरेट ने चेतावनी दी, “हम एक दुष्चक्र में फँस सकते हैं, जहाँ जलवायु परिवर्तन और अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करेगा, जिससे तापमान और बढ़ेगा।”


ग्रीनहाउस गैसों का जलवायु पर प्रभाव

1990 से 2023 तक, ग्रीनहाउस गैसों द्वारा विकिरण बल (यानी जलवायु को गर्म करने का प्रभाव) में 51.5% की वृद्धि हुई है। इसमें CO2 का योगदान सबसे अधिक है, जो कुल वृद्धि का लगभग 81% है।

जब तक उत्सर्जन जारी रहेगा, ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडल में जमा होती रहेंगी और तापमान में वृद्धि करती रहेंगी। यहाँ तक कि अगर आज उत्सर्जन को पूरी तरह रोक दिया जाए, तब भी CO2 के लंबे जीवनकाल के कारण तापमान में गिरावट आने में कई दशक लग सकते हैं।


इतिहास से सबक

WMO की रिपोर्ट के अनुसार, पिछली बार पृथ्वी ने ऐसी CO2 सांद्रता लगभग 3-5 मिलियन वर्ष पहले अनुभव की थी। उस समय:

  • वैश्विक तापमान आज की तुलना में 2-3°C अधिक था।
  • समुद्र का स्तर 10-20 मीटर ऊँचा था।

निष्कर्ष

WMO की यह रिपोर्ट बताती है कि ग्लोबल वार्मिंग और ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता स्तर मानवता के लिए गंभीर संकट का संकेत है। कार्बन उत्सर्जन में कमी और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण इस संकट से निपटने के लिए बेहद ज़रूरी हैं। COP29 जैसे मंचों पर देशों को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि हम पृथ्वी के भविष्य को सुरक्षित रख सकें।

 

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