Science: 1st wooden satellite placed in space. अनोखी उपलब्धि ! दुनिया का पहला लकड़ी से बना उपग्रह, LingoSat को सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया |

Science: Worlds first Wooden Satellite Deployed in Space
Science: Worlds first Wooden Satellite Deployed in Space

science : हाल ही में अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीकी विकास के क्षेत्र में एक अनोखी उपलब्धि दर्ज हुई है। दुनिया का पहला लकड़ी से बना उपग्रह, LingoSat, सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया है। इस उपग्रह ने न केवल आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक अनूठा नमूना पेश किया है, बल्कि पर्यावरण अनुकूल अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में एक बड़ा कदम भी बढ़ाया है।

NASA की घोषणा और परियोजना का उद्देश्य

नासा ने हाल ही में एक ब्लॉग पोस्ट में इस अद्भुत उपलब्धि की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि लिग्नोसैट को नवंबर 2024 में स्पेसएक्स ड्रैगन कार्गो कैप्सूल के जरिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) ले जाया गया था। इसके बाद, दिसंबर 2024 में इसे पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। यह उपग्रह एक संयुक्त परियोजना है, जिसे जापान के Kyoto University और सुमितोमो फॉरेस्ट्री ने मिलकर विकसित किया है।

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में लकड़ी के उपयोग और उसके व्यवहार का अध्ययन करना है। आधुनिक तकनीक और पारंपरिक शिल्पकला का संगम करते हुए लिग्नोसैट ने यह दिखाया है कि भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण मिशन कैसे अधिक टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल हो सकते हैं।

science : अद्वितीय डिज़ाइन और निर्माण

लिग्नोसैट का डिज़ाइन अपने आप में अनूठा है। इसे जापानी होनोकी मैगनोलिया लकड़ी से बनाया गया है। इस लकड़ी का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि यह मजबूत, हल्की और पर्यावरण अनुकूल होती है। उपग्रह के पैनल 10 सेमी लंबे हैं और इन्हें पारंपरिक जापानी लकड़ी-जोड़ने की तकनीक से जोड़ा गया है, जिसमें न तो पेंच की जरूरत होती है और न ही गोंद की।

लकड़ी से बने होने के बावजूद लिग्नोसैट का कुल वजन मात्र 900 ग्राम है। यह इसे हल्का और प्रक्षेपण के लिए आदर्श बनाता है। इस डिज़ाइन ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं।

मिशन के उद्देश्य

LingoSat का छह महीने का कक्षीय मिशन मुख्य रूप से यह पता लगाने पर केंद्रित है कि अंतरिक्ष में लकड़ी का व्यवहार कैसा होता है। परंपरागत रूप से, उपग्रह बनाने में एल्युमीनियम, टाइटेनियम, टेफ्लॉन और थर्मोप्लास्टिक्स जैसी सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। लेकिन ये सामग्रियां पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। लिग्नोसैट इस धारणा को चुनौती देता है और टिकाऊ विकल्प प्रदान करता है।

लिग्नोसैट पर लगे सेंसर निम्नलिखित पहलुओं का अध्ययन करेंगे:

  1. तापमान के उतार-चढ़ाव का प्रभाव: उपग्रह को हर 45 मिनट में -100 डिग्री सेल्सियस से 100 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान में बदलाव का सामना करना होगा।
  2. विकिरण का प्रभाव: यह देखा जाएगा कि विकिरण के प्रति लकड़ी की प्रतिक्रिया क्या है।
  3. भौतिक संरचना का लचीलापन: अंतरिक्ष में लकड़ी पर पड़ने वाले तनाव का परीक्षण किया जाएगा।
  4. भू-चुंबकीय क्षेत्र से सुरक्षा: उपग्रह की यह क्षमता जांची जाएगी कि वह अपने उपकरणों को भू-चुंबकीय क्षेत्र से कैसे बचाता है।

पर्यावरण अनुकूल अंतरिक्ष अन्वेषण

आज के समय में अंतरिक्ष मलबा एक गंभीर समस्या बन चुका है। परंपरागत उपग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश करने के बाद एल्युमीनियम ऑक्साइड के कण छोड़ते हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं। इसके विपरीत, लकड़ी के बने लिग्नोसैट जैसे उपग्रह वायुमंडल में प्रवेश के दौरान जलकर समाप्त हो जाते हैं।

लिग्नोसैट के इस गुण ने इसे भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक वांछनीय विकल्प बना दिया है। यह अंतरिक्ष मलबे की समस्या को हल करने में मदद कर सकता है और टिकाऊ अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अंतरिक्ष में लकड़ी के उपयोग की संभावनाएं

लिग्नोसैट का मिशन चंद्रमा और मंगल जैसे दूरस्थ ग्रहों के अन्वेषण में लकड़ी के उपयोग की संभावनाओं का भी मूल्यांकन करेगा। यदि यह मिशन सफल रहता है, तो भविष्य में अंतरिक्ष यानों और उपग्रहों में लकड़ी का व्यापक उपयोग संभव हो सकता है।

लकड़ी के उपयोग के लाभ:

  1. हल्कापन: लकड़ी पारंपरिक सामग्रियों की तुलना में हल्की होती है, जिससे प्रक्षेपण की लागत कम होती है।
  2. सहज नष्ट होना: लकड़ी के उपग्रह आसानी से वायुमंडल में जलकर समाप्त हो जाते हैं, जिससे पर्यावरण पर असर कम होता है।
  3. तकनीकी सरलता: पारंपरिक सामग्रियों के मुकाबले लकड़ी का उपयोग सरल और सस्ता है।

जापानी परंपरा और आधुनिकता का संगम

लिग्नोसैट को बनाने में जापानी परंपराओं और आधुनिक तकनीकों का अद्भुत समन्वय किया गया है। पारंपरिक लकड़ी-जोड़ने की तकनीक ने इसे मजबूत और टिकाऊ बनाया है। इसके साथ ही, अत्याधुनिक सेंसर और उपकरणों ने इसे तकनीकी रूप से सक्षम उपग्रह में बदल दिया है।

वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान पर प्रभाव

लिग्नोसैट ने यह साबित कर दिया है कि पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ सामग्रियों का उपयोग करके अंतरिक्ष में भी क्रांति लाई जा सकती है। यह उपग्रह उन वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए प्रेरणा है जो स्थिरता और नवाचार के बीच संतुलन बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

निष्कर्ष

LingoSat का प्रक्षेपण मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसने न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बल्कि पर्यावरण और टिकाऊ विकास के संदर्भ में भी नई दिशाएं खोली हैं।

आने वाले समय में यह अनूठा प्रयोग space science के क्षेत्र में कई और नवाचारों को प्रेरित करेगा। लिग्नोसैट ने यह साबित कर दिया है कि सदियों पुरानी परंपराएं और आधुनिक तकनीक मिलकर कुछ भी असंभव को संभव बना सकती हैं।

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