
science: चीन का थ्री गॉर्जेस डैम, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा बांध माना जाता है, एक ऐसा इंजीनियरिंग चमत्कार है जो अपनी विशालता और प्रभाव के कारण पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसकी विशाल संरचना और इससे होने वाले प्रभाव किसी का भी ध्यान आकर्षित कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
थ्री गॉर्जेस डैम: अद्भुत संरचना का परिचय
थ्री गॉर्जेस डैम चीन की यांग्त्ज़ी नदी पर स्थित है, जो दुनिया की तीसरी सबसे लंबी नदी है। यह डैम 2.3 किलोमीटर लंबा, 115 मीटर चौड़ा और 185 मीटर ऊँचा है। इसकी निर्माण प्रक्रिया में 18 साल का समय लगा, और इसे 2012 में पूरी तरह से चालू कर दिया गया। इस परियोजना पर लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए।
इस बांध को बनाने में 63,000 टन स्टील का उपयोग किया गया, जो 5-6 एफिल टावर बनाने के लिए पर्याप्त है। यह डैम हर साल 88.2 बिलियन किलोवाट बिजली का उत्पादन करता है, जो चीन के ऊर्जा उत्पादन में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है।
science:थ्री गॉर्जेस डैम का पृथ्वी पर प्रभाव
इस डैम का प्रभाव सिर्फ ऊर्जा उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पृथ्वी की भौतिक science और पर्यावरणीय संरचना को भी प्रभावित करता है।
- दिन की लंबाई में वृद्धि:
थ्री गॉर्जेस डैम के भारी भार और जलाशय के पानी के जमाव ने पृथ्वी की घूर्णन गति को धीमा कर दिया है, जिससे दिन की लंबाई 0.06 माइक्रोसेकंड तक बढ़ गई है। - ध्रुवों का विस्थापन:
पृथ्वी के संतुलन पर असर डालते हुए, इस डैम ने उत्तर और दक्षिण ध्रुवों को उनकी जगह से 2-2 सेंटीमीटर खिसका दिया है। - धरती की आकृति पर असर:
जलाशय में जमा पानी और डैम के भार ने पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों को थोड़ा सपाट कर दिया है।
पर्यावरण पर गहरा असर
थ्री गॉर्जेस डैम का निर्माण पर्यावरण science के लिए भी विनाशकारी साबित हुआ है।
- लाखों लोगों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
- जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र को भारी नुकसान पहुंचा।
- मछलियों और अन्य जलीय जीवों के लिए खतरे बढ़ गए हैं।
- आसपास के इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है।
तीन गुना बड़े डैम की योजना
अब चीन ने थ्री गॉर्जेस डैम से भी तीन गुना बड़े dam का निर्माण शुरू कर दिया है। यह नया डैम तिब्बती पठार पर यारलुंग त्सांगपो नदी पर बनाया जा रहा है। इस परियोजना से हर साल 300 बिलियन किलोवाट ऊर्जा उत्पन्न होने की उम्मीद है, जो थ्री गॉर्जेस डैम की तुलना में तीन गुना अधिक है।
इस परियोजना ने एक बार फिर पर्यावरणविदों और वैश्विक विशेषज्ञों के बीच चिंता पैदा कर दी है।
भारत पर पड़ने वाला प्रभाव
चीन के इस नए dam प्रोजेक्ट का प्रभाव भारत पर भी पड़ सकता है। खासकर अरुणाचल प्रदेश और असम जैसे क्षेत्रों में ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह में बदलाव देखने को मिल सकता है। इससे बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ सकता है।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने “सियांग अपर मल्टीपर्पज प्रोजेक्ट” (Siang Upper Multipurpose Project) की घोषणा की है। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल बिजली उत्पादन करना है, बल्कि चीन द्वारा पानी छोड़े जाने की स्थिति में बाढ़ के खतरे को भी कम करना है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 1.13 लाख करोड़ रुपये है।
विकास बनाम पर्यावरण: एक गंभीर सवाल
चीन के थ्री गॉर्जेस डैम और उसके नए प्रोजेक्ट यह साबित करते हैं कि मानव निर्मित संरचनाएँ पृथ्वी के संतुलन को किस हद तक प्रभावित कर सकती हैं।
इन परियोजनाओं का उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन और विकास है, लेकिन इनके साथ आने वाले पर्यावरणीय और भौतिक प्रभावों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। यह सवाल उठता है कि क्या विकास के नाम पर पर्यावरण और पृथ्वी के संतुलन को खतरे में डालना सही है? इन सवालों का जवाब देना न केवल चीन बल्कि पूरी दुनिया के लिए आवश्यक है।
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