Science: human brain is very slow ! Only 10 bits/s ? मानव मस्तिष्क अपेक्षाकृत धीमी गति से काम करता है!नए शोध ने चौंकाने वाले निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं।

science : human brain speed is only 10bits/s
science : human brain speed is only 10bits/s

मानव मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर नए शोध ने चौंकाने वाले निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं। वैज्ञानिकों ने पहली बार यह निर्धारित किया है कि मानव मस्तिष्क सूचना को कितनी तेज़ी से संसाधित कर सकता है। science अध्ययन के अनुसार, हमारा मस्तिष्क अपेक्षाकृत धीमी गति से काम करता है और इसकी गति पहले की अपेक्षा बहुत कम पाई गई है। यह science शोध california Institute of Technology (कैलटेक) में किया गया और इसके निष्कर्ष प्रतिष्ठित journal Neuron में प्रकाशित हुए।

Brain की सीमित गति

science शोधकर्ताओं ने पाया कि मानव मस्तिष्क मात्र 10 बिट प्रति सेकंड की गति से सूचना संसाधित करता है। यह संख्या अत्यधिक धीमी है, जबकि हमारी इंद्रियाँ—जैसे आँखें, कान, त्वचा, और नाक—हर सेकंड अरबों बिट सूचना ग्रहण करती हैं। एक बिट सूचना की मूल इकाई है, जिसे कंप्यूटिंग में भी उपयोग किया जाता है। तुलना करें तो, एक सामान्य वाई-फाई कनेक्शन प्रति सेकंड 50 मिलियन बिट तक की गति से डेटा संसाधित करता है।

अध्ययन में यह बात सामने आई कि पढ़ाई, लिखाई, वीडियो गेम खेलना या रूबिक क्यूब हल करने जैसी गतिविधियों के दौरान भी मस्तिष्क की गति 10 बिट प्रति सेकंड से अधिक नहीं होती। अध्ययन का नेतृत्व California Institute of Technology के प्रोफेसर और उनके स्नातक छात्र ने किया। उनके अनुसार, इतनी धीमी गति से मस्तिष्क को संचालित होते देखना चौंकाने वाला है। ने कहा, “यह एक विरोधाभास पैदा करता है: मस्तिष्क इस सारी जानकारी को फ़िल्टर करने और निर्णय लेने के लिए क्या कर रहा है?”

न्यूरॉन्स की भूमिका

मानव मस्तिष्क में 85 बिलियन से अधिक न्यूरॉन्स होते हैं, जिनमें से एक तिहाई उच्च-स्तरीय सोच के लिए समर्पित होते हैं और कॉर्टेक्स में स्थित होते हैं। न्यूरॉन्स को अत्यधिक शक्तिशाली सूचना प्रोसेसर माना जाता है। वे आसानी से 10 बिट प्रति सेकंड से अधिक गति से जानकारी प्रसारित कर सकते हैं। इसके बावजूद, मस्तिष्क की कुल गति इतनी धीमी क्यों है?

शोधकर्ताओं का मानना है कि यह धीमापन मानव मस्तिष्क की संरचना और कार्यप्रणाली से संबंधित हो सकता है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि मस्तिष्क में इस धीमी गति की सीमा को समझने के लिए आगे के शोध की आवश्यकता है।

बाहरी और आंतरिक मस्तिष्क

science शोध में यह पता चला है कि मानव मस्तिष्क दो अलग-अलग तरीकों से कार्य करता है:

  1. बाहरी मस्तिष्क: यह उच्च-आयामी संवेदी और मोटर संकेतों को संभालता है। यह तेज़ी से काम करता है और हमारे आसपास के वातावरण से जुड़ी जानकारी को संसाधित करता है।
  2. आंतरिक मस्तिष्क: यह धीमी गति से काम करता है और केवल कुछ चुनिंदा बिट्स को संसाधित करता है जो व्यवहार और निर्णय लेने के लिए आवश्यक होते हैं।

बाहरी मस्तिष्क के लिए बड़ी संख्या में न्यूरॉन्स का होना आवश्यक है, लेकिन आंतरिक मस्तिष्क की धीमी प्रक्रिया अभी भी वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बनी हुई है।

धीमे मस्तिष्क के लाभ

हालाँकि यह धीमापन पहली नज़र में एक कमजोरी लग सकता है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि यह मस्तिष्क की एक रणनीतिक विशेषता हो सकती है। मनुष्य का मस्तिष्क एक समय में केवल एक ही “पथ” का अनुसरण कर सकता है, जिससे निर्णय लेने और जटिल विचारों को सरल बनाने में मदद मिलती है।

शोध में यह भी बताया गया कि तंत्रिका तंत्र वाले पहले जानवरों ने अपने मस्तिष्क का उपयोग मुख्य रूप से नेविगेशन, भोजन की तलाश और शिकारियों से बचने के लिए किया। मानव मस्तिष्क की विकास यात्रा इन सरल प्रणालियों से होती हुई वर्तमान जटिल संरचना तक पहुँची है।

science: नई संभावनाओं की ओर संकेत

शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि इस धीमी गति के कारणों को समझने के लिए तंत्रिका विज्ञान में और अधिक गहराई से अध्ययन करना होगा। मस्तिष्क की आंतरिक प्रक्रिया, विचारों की सीमित गति और निर्णय लेने के पैटर्न को समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

मार्कस मीस्टर और उनकी टीम ने तर्क दिया कि यह धीमापन मानव सोच को अमूर्त अवधारणाओं के “स्थान” के माध्यम से नेविगेशन की तरह बनाता है। उनके अनुसार, “मानव सोच को एक ट्रेन की तरह देखा जा सकता है जो एक समय में केवल एक ही रास्ते पर चलती है।”

मस्तिष्क की गति और आधुनिक जीवन

आज की तेज़-गति वाली दुनिया में, जहाँ तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता हमारी अपेक्षाओं को बढ़ा रही हैं, मानव मस्तिष्क की यह धीमी प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण खोज है। यह हमें यह समझने में मदद करती है कि हमारी सोच और निर्णय लेने की क्षमता सीमित क्यों है। यह खोज शतरंज जैसे खेलों में खिलाड़ियों की सीमाओं को भी समझने में सहायक हो सकती है, जहाँ वे एक समय में केवल एक ही चाल की कल्पना कर पाते हैं।

निष्कर्ष

कैलिफ़ोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के इस शोध ने मानव मस्तिष्क की क्षमता और इसकी सीमाओं पर नई रोशनी डाली है। यह अध्ययन हमें मस्तिष्क की जटिल संरचना और उसकी धीमी गति को समझने में मदद करता है। इस नई जानकारी से तंत्रिका विज्ञान के क्षेत्र में नई संभावनाएँ खुलने की उम्मीद है।

मानव मस्तिष्क की धीमी गति हमारे अस्तित्व का एक हिस्सा है, जो इसे जटिलता और सरलता के बीच संतुलन बनाने में सक्षम बनाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस धीमी गति की सीमा को समझना भविष्य में मानव सोच और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास में मदद कर सकता है।

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